कब है होलिका दहन? पंडित जी ने बताई सही तारीख, यहां जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

NEWSDESK
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Holika Dahan shubh muhurat: होलिका दहन की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करना जरूरी है. स्नान के बाद होलिका की पूजा वाले स्थान पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं.

होली हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व माना जाता है. बसंत का महीना लगने के बाद से ही इसका इंतजार शुरू हो जाता है. फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है. इसके अगले दिन होली मनाई जाती है. हिंदू धर्म के अनुसार, होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है. होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है. पूरे भारत में इसका अलग ही जश्न और उत्साह देखने को मिलता है. होली भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना का त्योहार है. इस दिन लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं. घरों में पकवान बनते हैं. लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं.

पंडित  ने बताया कि पुराणों के अनुसार, जब दानवराज हिरण्यकश्यप ने देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य की पूजा नहीं करता और उन्हें ही सबसे शक्तिशाली मानता है. तो उसने गुस्से में उसे सजा देने की ठानी. उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, ताकि प्रह्लाद जलकर भस्म हो जाए. होलिका को वरदान प्राप्त था, कि उसे अग्नि नुकसान नहीं पहुंचा सकती है. इसलिए वो इसके लिए तैयार हो गई, लेकिन जब अग्नि प्रज्जवलित हुई, तो भगवान विष्णु की कृपा से होलिका ही जलकर भस्म हो गई, जबकि भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ. इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन किया जाता है. भगवान अपने सच्चे भक्त की हमेशा रक्षा करते हैं.

 

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