विधानसभा चुनाव: बीजेपी-कांग्रेस के वो नेता जिन पर है खुद को साबित करने का आखिरी मौका?

NEWSDESK
11 Min Read

इस साल के अंत में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मिजोरम और तेलंगाना में चुनाव होने हैं. जो कई दिग्गज नेताओं की साख दिखाने का आखिरी मौका हो सकते हैं.

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. सभी पार्टियां आने वाली चुनौती के लिए तैयार हैं. चुनावी राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी के बीच लड़ाई तेज होती जा रही है.

हालांकि इस बार के विधानसभा चुनाव मध्यप्रदेश और राजस्थान के दिग्गज नेताओं के लिए अपनी साख साबित करने का भी मौका हैं. जहां मध्यप्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर पूरा फोकस है तो वहीं राजस्थान में अशोक गहलोत फिलहाल लाइमलाइट में हैं.

वहीं दूसरी ओर बीजेपी के बड़े नेता भी पार्टी के अंदर अपना प्रभाव खोते दिख रहे हैं. एमपी में चार कार्यकाल पूरा करने के बावजूद सीएम शिवराज सिंह चौहान को मध्य प्रदेश में चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, तो वहीं दूसरी ओर राजस्थान में वसुंधरा राजे और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को भी पार्टी के प्रमुख लोगों के रूप में अपनी साख बनाए रखने में खासी लड़ाई लड़नी पड़ रही है.

दोनों ही अब पहले की तरह प्रमुख निर्णय लेने में मुख्य रोल निभाते नजर नहीं आ रहे.

मध्यप्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के लिए आखिरी मौका?
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमान संभाल रहे कमलनाथ ने पिछले चुनाव यानी 2018 में दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक कर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. हालांकि पार्टी शुरुआती प्रचार के दौरान दिग्विजय सिंह को प्रोजेक्ट करने से झिझक रही थी. जो कांग्रेस से दो बार सीएम रह चुके हैं.

जानकारों की मानें तो दिग्विजय के विवादित बयान भी उनके खिलाफ गया.

इस दौरान पार्टी के चेहरे के रूप में खुद को प्रोजेक्ट कर रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया भी दिग्विजय सिंह से सहमत और खुश नहीं थे. जिसके बाद कमलनाथ ने हस्तक्षेप किया और तीसरे विकल्प के रूप में दिग्विजय सिंह ने उन्हें स्वीकार कर लिया.

नाथ मध्यप्रदेश में कांग्रेस में एकता लाने में कामयाब हुए, जो पार्टी के लिए बहुत जरूरी थी. जिसके बाद कांग्रेस चौहान के नेतृत्व वाली 15 साल की बीजेपी सरकार को हराने में कामयाब रही.

कांग्रेस के डेढ़ साल के कार्यकाल के बाद सिंधिया दल बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए. ऐसे में मध्य प्रदेश की सत्ता कांग्रेस के हाथ से फिसलकर बीजेपी के हाथों में चली गई.

अब पार्टी ये दावा कर रही है कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कांग्रेस मजबूत बनी हुई है. जैसा कि स्थानीय निकाय चुनावों में भी स्पष्ट होता है. मौजूदा स्थिति को देखें तो कांग्रेस कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को बड़ा चेहरा बनाकर पेश कर रही है. साथ ही दोनों ही नेताओं के लिए इस बार अपनी साख भी मजबूत करने का सवाल है.

वहीं बीजेपी में शिवराज सिंह चौहान के लिए भी जीतना एक बड़ी चुनौती है. चार बार सीएम रह चुके शिवराज सिंह चौहान को पार्टी ने इस बार तीसरी लिस्ट में टिकट देकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. ऐसे में सवाल ये भी सामने आ गया है कि यदि पार्टी राज्य में जीत हासिल करती भी है तो क्या शिवराज सिंह चौहान को ही अगली सत्ता मिल पाएगी.

ऐसे में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ जहां मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से सांसद हैं उनके राजनीति में अगली पीढ़ी के रूप में प्रमुख रूप से नजर आने की खबरे हैं वहीं दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय भी बुधनी में काफी एक्टिव रहते हैं.

साथ ही अपने पिता शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र में वो अक्सर कोई न कोई कार्यक्रम भी करवाते रहते हैं. उन्होंने जब 20 हजार लोगों की रैली को संबोधित किया था उस वक्त भी वो खासी चर्चाओं में रहे थे. ऐसे में अगर वो आने वाले समय में एक्टिव पॉलिटिक्स में नजर आते हैं तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी.

राजस्थान में भी बड़े नेताओं के सामने बड़ी चुनौती
राजस्थान में अशोक गहलोत ने अपने राजनीतिक कौशल और सार्वजनिक समर्थन के माध्यम से एक और मौका अर्जित कर लिया. उन्होंने 2020 में पायलट के साथ हुई खींचतान के बीच अपनी समझदारी से सत्ता नहीं खिसकने दी और सीएम की कुर्सी पर बने रहे. ऐसे में युवा चेहरे के रूप में लगातार सचिन पायलट का चेहरा दिन व दिन उभरता जा रहा  है.

ऐसे में गहलोत को सत्ता में काबिज रहना थोड़ा कठिन हो जाएगा. हालांकि आगामी चुनाव के लिए गहलोत अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. उन्होंने 2022 के राज्य बजट के मुद्दे को उठाया है साथ ही उन्होंने अधिकारों के आधार पर कई कल्याणकारी योजनाए भी पेश की हैं.

इसके अलावा उन्होंने महत्वपूर्ण जिला पुनर्गठन की घोषणा भी की है और अब जाति जनगणना कराने की योजना भी बना रहे हैं.

गहलोत पिछले एक साल से ग्रामीण ओलंपिक, बजट अभियान, कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन पर बैठकें करके मतदाताओं से सीधे जुड़ने का भरसक प्रयास कर रहे हैं. शायद ही पहली कभी गहलोत ने इतने प्रयास किए थे.

दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजस्थान की सियासत में इस बार अपनी साख बचाने की कोशिशों में लगे हुए हैं. वो इस बात से ही स्पष्ट होता है कि दोनों अपने फैसलों को भी मजबूती से पेश नहीं कर पा रही हैं.

छत्तीसगढ़ में रमन सिंह
तीन कार्यकाल और 15 सालों तक छत्तीसगढ़ के सीएम रहे रमन सिंह इस बार बीजेपी के सीएम फेस होंगे या नहीं, इसपर संशय बना हुआ है. उन्हें पार्टी के दिग्गज नेता के रूप में इस बार खुद को साबित करना जरूरी हो गया है.

छत्तीसगढ़ में 2018 में जब विधानसभा चुनाव कराए गए तो बीजेपी 15 सीटों पर सिमट गई थी, जबकि 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस का संख्या बल बढ़कर 71 हो गया. हालांकि इस चुनाव में जहां बीजेपी के कई नेताओं की सीट खतरे में आ गई थी.

वहीं रमन सिंह अपनी राजनांदगांव सीट बचाने में कामयाब रहे जहां से वो 2008 से ही विधायक हैं. सीएम भूपेश बघेल ने कुछ समय पहले तंज मारते हुए कहा था कि रमन सिंह को अपनी टिकट की चिंता है.

इस पर जवाब देते हुए रमन सिंह ने कहा था कि वो मेरी जगह अपनी चिंता करें. रमन सिंह ने कहा कि भूपेश बघेल जी की परेशानी उस दिन से शुरू हुई है जिस दिन बीजेपी ने 21 उम्मीदवारों की सूची जारी की और उसमें विजय बघेल का नाम आया. जिन्होंने सीएम बघेल को हराया था.

ऐसे में आगामी चुनाव दोनों ही पार्टियों के दिग्गज नेताओं के लिए अपनी साख दिखाने का बड़ा और आखिरी मौका साबित हो सकता है. बता दें अशोक गहलोत राजस्थान में तीन बार, वसुंधरा राजे 2 बार सीएम रह चुकी हैं.

वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अबतक का देश में सबसे लंबा कार्यकाल रहा है वो चार बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं.  इसके अलावा दिग्विजय सिंह दो बार और कमलनाथ एक बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में रमन सिंह तीन बार का मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं.

किस राज्य में बन रही किसकी सरकार?
एबीपी न्यूज द्वारा करवाया गए सी वोटर्स के सर्वे पर नजर डालें तो मध्यप्रदेश में सर्वे के मुताबिक इस बार 230 सीटों में से कांग्रेस को 113-125 सीटें, बीजेपी को 104-116, बसपा को 0-2 जबकि अन्य के खाते में 0-3 सीटें आ सकती हैं.

वहीं राजस्थान में बीजेपी इस बार बाजी मारती हुई दिखाई दे रही है. सर्वे के मुताबिक इस बार राजस्थान की 200 सीटों में से कांग्रेस को 59-69 सीटें, बीजेपी को 127-137 जबकि अन्य के खाते में 2-6 सीटें आ सकती हैं.

इसके अलावा छत्तीगढ़ के ओपीनियन पोल पर नजर डालें तो राज्य में कांग्रेस को 45 से 51 सीटें मिल सकती हैं. बीजेपी के खाते में 39 से 45 सीटें आ सकती हैं. वहीं अन्य के खाते में शून्य से दो सीटें आ सकती हैं. राज्य में विधानसभा की कुल सीटें 90 और बहुमत का आंकड़ा 46 है. छत्तीसगढ़ में मौजूदा कांग्रेस सरकार की कमान भूपेश बघेल संभाल रहे हैं.

किन राज्यों में कब और कितने चरणों में होंगे चुनाव?
चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में मतदान और परिणामों की तारीखों का ऐलान कर दिया है. जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ और मिजोरम में 7 नवंबर से चुनाव हैं. छत्तीसगढ़ में दो फेज 7 और 17 नवंबर को मतदान होंगे. मध्य प्रदेश में मतदान 17 नवंबर, राजस्थान और तेलंगाना में 23 और 30 नवंबर को मतदान होगा. सभी राज्यों की मतगणना 3 दिसंबर को होगी.

आयोग ने इस बार मतदान और प्रचार का गैप कम रखा है. मध्य प्रदेश में विधानसभा की जहां 230 सीटें हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटें हैं. राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं, जबकि तेलंगाना में 119 और मिजोरम में 40 सीटें हैं.

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पिछली बार कांग्रेस की सरकार आई थी. हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद 2020 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई. सिंधिया 28 कांग्रेस विधायक और अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए.

Share this Article