SDM Vs SDPO: एसडीएम और एसडीपीओ में क्या है फर्क, दोनों में कौन है अधिक पावरफुल?

NEWSDESK
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SDM Vs SDPO: एसडीएम को सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (SDM) के नाम से भी जाना जाता है जबकि एसडीपीओ (SDPO) का सब डिवीजनल पुलिस ऑफिसर (sdpo full form) भी कहते हैं. इन दोनों अधिकारियों से अक्सर लोगों को काम पड़ता ही है. अगर आप भी SDM या SDPO के पदों पर नौकरी (Sarkari Naukri) पाने की तैयारी में लगे हैं, तो इसके बारे में नीचे विस्तार से पढ़ सकते हैं.

SDM Vs SDPO: आपलोगों ने अक्सर अपने आसपास के लोगों से कहते सुना होगा कि हम SDM या SDPO ऑफिस जा रहे हैं. लोगों को इन पदों पर बैठे अधिकारियों से अक्सर काम के सिलसिले में आमना सामना होता रहता है. इन दोनों पदों की नौकरी (Sarkari Naukri) बहुत ही प्रतिष्ठित नौकरियों में से एक मानी जाती है. सब डिवीजन में जमीन विवाद सुलझाने से लेकर लॉ एंड ऑर्डर बनाएं रखने के लिए इन दोनों पदों पर बैठे अधिकारी जिम्मेदार होते हैं. SDPO पदनाम ज्यादातर बिहार और बंगाल राज्यों में सुनने को मिलता है. अलग-अलग राज्यों में अलग इनके पदनाम हो सकते हैं. SDM पदनाम अधिकांश राज्यों में सुनने को मिल सकते हैं. SDM और SDPO पदों पर युवाओं का चयन स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन (PCS) के तहत या UPSC के तहत भी किया जाता है. अगर आपके मन में भी SDM और SDPO बनने का ख्याल है, तो नीचे दिए गए तमाम बातों को पहले ध्यान से जरूर पढ़ें.

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SDM (Sub Divisional Magistrate) 
एसडीएम को सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के नाम से भी जाना जाता है. सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट भारतीय प्रशासनिक सेवा कैडर सिविल सेवा का ऑफिसर या राज्य प्रशासनिक सेवा कैडर का एक स्टेट सिविल सेवा ऑफिसर होताहै. यह भूमि राजस्व कलेक्ट करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) एक स्टेट गवर्नमेंट ऑफिसर होता है. यह जिले के एक विशिष्ट सब डिवीजन के अंतर्गत प्रशासनिक और कानूनी मामलों की देखरेख, एक्जीक्यूटिव, राजस्व और मजिस्ट्रियल पावर का इस्तेमाल करता है. इसके अलावा UPSC या राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित भारतीय प्रशासनिक सेवा ऑफिसर भी अपनी ट्रेनिंग के दौरान SDM के रूप में कार्य करते हैं. उन्हें कई राज्यों में असिस्टेंट कलेक्टर कम सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट या असिस्टेंट कमिश्नर के रूप में भी जाना जाता है. सब डिविजनल मजिस्ट्रेट को आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 के तहत कई एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की भूमिकाएं अदा करनी होती है.

एसडीएम का काम 
गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन करना
रेवेन्यू से संबंधित कार्यों का देखरेख करना
चुनाव से संबंधित कार्यों को देखना
शादी से संबंधित रजिस्ट्रेशन करना
ड्राइविंग लाइसेंस का रिन्यूल एवं नया जारी करना
आर्म्स लाइसेंस का रिन्यल करना एवं नया लाइसेंस जारी करना
ओबीसी, एससी/एसटी और डोमिसाइल जैसे सर्टिफिकेट जारी करना

SDPO (Sub Divisional Police Officer)
एसडीपीओ का फुलफॉर्म सब डिवीजनल पुलिस ऑफिसर (SDPO Full Form) होता है और यह पद भारत में एक स्पेशल पुलिस रैंक है. यह शब्द ब्रिटिश भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 से लिया गया है, जिसे लॉर्ड रैफल्स द्वारा ऐसे पुलिस अधिकारी बनाने के लिए पेश किया गया था, जो ब्रिटिश भारत में पुलिसिंग कर्तव्यों का पालन कर सकें. यह इंस्पेक्टरों से नीचे का एक प्रकार का पुलिस रैंक है. गश्त और जांच जैसे कुछ कार्यों को करने के अलावा, इस रैंक से जुड़ी कोई अतिरिक्त जिम्मेदारियां नहीं हैं. भारत में SDPO को विभिन्न पुलिस स्टेशनों में नियुक्त किया जाता है, जो राज्य सरकार और जिला पुलिस के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं. वे राज्य सरकार के हायर लेवल से लेकर पुलिसिंग के निचले लेवल तक समन्वय और सलाह प्रदान करते हैं. ये अधिकारी भी जांच में शामिल हैं.

इसके अलावा, ये अधिकारी स्थानीय समस्याओं जैसे आदिवासी मुद्दों, लॉ एंड ऑर्डर में सुधार आदि को संबोधित करने में भी शामिल हैं. इसके अलावा SDPO के पास लोगों को गिरफ्तार करने या अपने दम पर जांच करने की कोई शक्ति नहीं है. यदि किसी विशिष्ट कारण से निर्दोष नागरिकों को हिरासत में लेने की आवश्यकता होती है, तो इसे कानूनी कार्रवाई जैसी उचित प्रक्रिया के माध्यम से किया जाना होता, जो मजिस्ट्रेट/न्यायाधीश के आदेश पर की जा सकती है.

SDPO का पावर
एक सब डिवीजनल पुलिस ऑफिसर का पावर एक इंस्पेक्टर के समान होती हैं. हालांकि, कुछ अंतर भी हैं जिन्हें देखा जा सकता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि SDPO को गिरफ्तार करने का कोई अधिकार नहीं है. हालांकि, वह उन लोगों के खिलाफ बल का प्रयोग कर सकता है, जो पुलिस ऑपरेशन के दौरान उस पर हमला कर रहे हैं या धमकी दे रहे हैं यदि उसे लगता है कि उनका व्यवहार उसके और उसके समूह के लिए हानिकारक है. एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि SDPO को “इंस्पेक्टर” नहीं माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इंस्पेक्टरों द्वारा की गई सभी गतिविधियों को उनके संबंधित पुलिस स्टेशनों में पंजीकृत किया जाना है, लेकिन SDPO द्वारा की गई गतिविधियों का ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं होगा.

पुलिस स्टेशनों को छोड़कर एक सब डिवीजनल पुलिस ऑफिसर सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट के समान पावर का प्रयोग करता है. भारत में बड़ी संख्या में पुलिस स्टेशनों में कई सब डिवीजनल पुलिस ऑफिसर्स को नियोजित करने की आवश्यकता होती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक स्टेशन पर लॉ एंड ऑर्डर ड्यूटी का पालन करने के लिए पर्याप्त अधिकारी उपलब्ध हैं. न्याय प्रशासन, लॉ एनफोर्समेंट और व्यवस्था बनाए रखना प्रभारी अधिकारी की जिम्मेदारी है.

 

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