Supreme Court News:जज ने यहां तक कहा कि याचिका का पूरा मकसद प्रचार था और इसका खारिज होना भी एक खबर बनेगी. किसान नेता पी अय्याकन्नू ने वाराणसी में अपना नामांकन भरने के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी. अय्याकन्नू के वकील महेंद्र की दलील थी कि नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 14 मई थी और प्रधानमंत्री मोदी ने भी 14 को ही अपना नामांकन दाखिल किया था.
नई दिल्ली. एक किसान सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उसकी मांग थी कि वह उत्तर प्रदेश के वाराणसी से चुनाव लड़ना चाहता है. किसान नेता पी अय्याकन्नू ने अपनी रिट में कहा था कि नामांकन दाखिल करने के लिए समय सीमा बढ़ाई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में किसान की रिट याचिका को खारिज कर दिया है. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने किसान नेता से पूछा कि जिन्होंने दक्षिण में लोगों के लिए दशकों तक काम किया है फिर वह वाराणसी से चुनाव क्या लड़ना चाहते? जस्टिस नाथ ने कहा कि आप 30 साल से तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक में काम कर रहे हैं. आप वाराणसी से चुनाव क्यों लड़ना चाहते हैं और वह भी आखिरी दिन जब आप यहां आना चाहते हैं?
क्या थी किसाान की दलील?
जज ने यहां तक कहा कि याचिका का पूरा मकसद प्रचार था और इसका खारिज होना भी एक खबर बनेगी. किसान नेता पी अय्याकन्नू ने वाराणसी में अपना नामांकन भरने के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी. अय्याकन्नू के वकील महेंद्र की दलील थी कि नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 14 मई थी और प्रधानमंत्री मोदी ने भी 14 को ही अपना नामांकन दाखिल किया था.
याचिका पर आगे विचार करने में मना करते हुए जस्टिस नाथ ने शुरू में पूछा कि क्या वकील याचिका वापस लेना चाहेंगे. उन्होंने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता का इरादा केवल प्रचार हासिल करना था. आप याचिका वापस लेना चाहते हैं, हम आपको याचिका वापस लेने की अनुमति दे सकते हैं या आप याचिका खारिज करना चाहते हैं. हम इसे खारिज कर सकते हैं. ये सभी स्टंट वाली याचिकाएं हैं. अगर हम क्रम से टिप्पणी करने लगेंगे तो आपके लिए मुश्किल हो जाएगी.
हालांकि वकील ने अनुरोध किया कि भारत के चुनाव आयोग को याचिकाकर्ता को ‘ई-फाइल’ नामांकन करने की अनुमति देने का निर्देश दिया जाए. जस्टिस न्यायमूर्ति नाथ ने कहा कि याचिकाकर्ता, जो तमिलनाडु का किसान नेता है और वाराणसी से चुनाव क्यों लड़ना चाहेगा, क्योंकि वह उक्त निर्वाचन क्षेत्र में कभी भी किसी भी प्रकार के सामाजिक कार्य में शामिल नहीं हुआ है.