लोकसभा चुनाव 2024: गया, औरंगाबाद, नवादा और जमुई में कैसी है लड़ाई, क्या है सियासी समीकरण?

NEWSDESK
6 Min Read

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 19 अप्रैल को पहले फेज के लिए पूरे देश में 102 संसदीय सीटों पर मतदान होंगे. प्रथम चरण में बिहार की चार लोकसभा सीटों पर वोटिंग है. ये सीटें औरंगाबाद, नवादा, जमुई और गया की है. यहां जातीय विभाजन की रेखाएं हैं तो परिवारवाद के आरोप भी. दलित बनान दलित और अगड़े और पिछड़े का संघर्ष भी. आइये जानते हैं किस पार्टी ने इन सीटों पर किसे मैदान में उतारा है और इन सीटों का सियासी समीकरण क्या है.

हाइलाइट्स

पहले फेज में गया, जमुई, औरंगाबाद और नवादा लोकसभा सीट पर डाले जाएंगे वोट.
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में इन 4 सीटों पर बीजेपी की रणनीति की अग्निपरीक्षा.
प्रथम चरण के चुनाव में राजद के सामाजिक-राजनीतिक आधार का होगा लिटमस टेस्ट.

पटना. लोकसभा चुनाव के पहले चरण का प्रचार बंद होने के बाद मतदान को लेकर तमाम दल अपने कार्यकर्ताओं को बूथ लेवल तक जमे रहने की रणनीतियां बनाए हुए हैं. गया, नवादा, औरंगाबाद और जमुई सीटों पर मुकाबले को लेकर अपने पक्ष में अधिक मतदान करवाने की रणनीति तैयार की गई है. इन चारों सीटों पर मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है क्योंकि एक ओर जहां जातीय समीकरण की सियासत का लिटमस टेस्ट है वहीं एनडीए की विकासवादी राजनीति की अग्निपरीक्षा है.

Contents
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 19 अप्रैल को पहले फेज के लिए पूरे देश में 102 संसदीय सीटों पर मतदान होंगे. प्रथम चरण में बिहार की चार लोकसभा सीटों पर वोटिंग है. ये सीटें औरंगाबाद, नवादा, जमुई और गया की है. यहां जातीय विभाजन की रेखाएं हैं तो परिवारवाद के आरोप भी. दलित बनान दलित और अगड़े और पिछड़े का संघर्ष भी. आइये जानते हैं किस पार्टी ने इन सीटों पर किसे मैदान में उतारा है और इन सीटों का सियासी समीकरण क्या है.हाइलाइट्सपहले फेज में गया, जमुई, औरंगाबाद और नवादा लोकसभा सीट पर डाले जाएंगे वोट.लोकसभा चुनाव के पहले चरण में इन 4 सीटों पर बीजेपी की रणनीति की अग्निपरीक्षा.प्रथम चरण के चुनाव में राजद के सामाजिक-राजनीतिक आधार का होगा लिटमस टेस्ट.

औरंगाबाद में महागठबंधन में राजद के अभय कुशवाहा और नवादा में श्रवण कुशवाहा को चुनावी मैदान में उतारकर जहां राजद ने बड़ा दांव खेला है, वहीं गया और जमुई से दलित कैंडिडेट को सियासी पिच पर उतारकर अपनी सामाजिक न्याय के दावे वाली राजनीतिक रणनीति बनाई, वहीं एनडीए ने गया से जीतन राम मांझी, नवादा से विवेक ठाकुर, जमुई से अरुण भारती और औरंगाबाद से सुशील कुमार सिंह को चुनावी मैदान में उतारकर सर्वसमाज की अवधारणना वाली राजनीति को आगे बढ़ाने पर बल दिया. आइये जानते हैं लोकसभा चुनाव में इन चारो सीटों पर कौन-कौन से प्रत्याशी मुख्य मुकाबले में हैं और कहां कैसा समीकरण बन रहा है.

गया लोकसभा सीट से एनडीए की ओर से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा से जीतन राम मांझी और महागठबंधन से राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत के बीच मुख्य मुकाबला है. जबकी तीसरी उम्मीदवार जो प्रभावित कर सकती हैं वह बहुजन समाज पार्टी की सुषमा कुमारी हैं. टक्कर मांझी और सर्वजीत के बीच बताई जा रही है. सामाजिक आधार पर देखें जीतन राम मांझी मुसहर हैं जबकि कुमार सर्वजीत दुसाध (पासवान) जाति से हैं. यहां मांझी को अपनी दलित जातियों पर भरोसा है तो सर्वजीत यादव, मुस्लिम और पासवान मतदाताओं के साथ ही अन्य पिछड़ी जातियों के समर्थन की उम्मीद है. वहीं जीतन राम मांझी को मुसहर के साथ ही चिराग पासवान के प्रभाव से पासवान और भाजपा के प्रभाव से सवर्ण मतदाताओं के समर्थन की उम्मीद है. बता दें कि गया में पासवान और मुसहर दलितों के दो सबसे बड़े समूह हैं, जिनकी आबादी करीब 30% है.

औरंगाबाद लोकसभा सीट- अगड़ा-पिछड़ा की लड़ाई
औरंगाबाद लोकसभा सीट से कुल 9 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन प्रमुख मुकाबला इंडिया अलायंस से राजद उम्मीदवार अभय कुमार कुशवाहा और एनडीए के भाजपा प्रत्याशी सुशील कुमार सिंह के बी है. वर्ष 2019 में औरंगाबाद सीट भाजपा के खाते में गई थी. तब महागठबंधन से हिंदुस्तानी आता मोर्चा सेकुलर से उपेंद्र प्रसाद यादव चुनाव लड़े थे. वर्तमान में बीजेपी की सीटिंग सीट है और सुशील कुमार सिंह फिर जीत का दावा कर रहे हैं. लेकिन, महागठबंधन ने सुशील सिंह के सामने अभय कुशवाहा को मैदान में उतार कर जातीय विभाजन की रेखा खींचने की कोशिश की है.

नवादा लोकसभा सीट-चतुष्कोणीय मुकाबले की उम्मीद
नवादा संसदीय क्षेत्र से 8 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. इस सीट पर मुख्य मुकाबला एनडीए से बीजेपी प्रत्याशी विवेक ठाकुर और महागठबंधन से राजद प्रत्याशी श्रवण कुमार कुशवाहा के बीच है. हालांकि, नवादा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में भोजपुरी सिंगर गुंजन सिंह और विनोद यादव एनडीए और महागठबंधन के प्रत्याशियों के लिए कठिनाई पैदा कर सकते हैं. विवेक ठाकुर के लिए गुंजन सिंह तो श्रवण कुशवाहा के लिए विनोद यादव परेशानी खड़ा कर सकते हैं. राजद के दो विधायक प्रकाश वीर और विवाह देवी विनोद यादव का खुलकर समर्थन कर रहे हैं और श्रवण कुमार कुशवाहा के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है. बता दें कि विनोद यादव पूर्व सांसद राजबल्लभ यादव के बेटे हैं और उनका अपना सामाजिक-राजनीतिक आधार बहुत पुख्ता है.

जमुई लोकसभा सीट-परिवारवाद बनाम दलित का मुकाबला
जमुई संसदीय सीट पर कुल 7 प्रत्याशी मैदान में हैं. इस सीट पर भी मुख्य मुकाबला एनडीए से लोजपा रामविलास उम्मीदवार अरुण कुमार भारती और महागठबंधन की ओर से राजद प्रत्याशी अर्चना कुमारी रविदास के बीच है. अरुण भारती चिराग पासवान के बहनोई हैं. जबकि अर्चना रविदास की सबसे बड़ी पहचान उनके पति मुकेश यादव हैं, जो आरजेडी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. यादव और दलित कंबिनेशन को देखते हुए राजद ने दांव खेला है, लेकिन गत 4 अप्रैल को जमुई से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए प्रदेश में एनडीए के लिए चुनाव प्रचार किया था. चिराग पासवान भी अरुण भारती के समर्थन में लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं. जबकि दूसरी ओर तेजस्वी यादव ने भी अपने कैंडिडेट के लिए चुनावी सभाएं की हैं.

 

Share this Article