School News: 10वीं की पढ़ाई को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. कई वर्षों से बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स 10वीं में पढ़ाई छोड़ रहे हैं. ड्रापआउट स्टूडेंट्स के मामले सबसे अधिक ओडिशा में बढ़े हैं तो वहीं बिहार भी इस मामले में अधिक पीछे नहीं है और उसका स्थान दूसरा है. बता दें कि सत्र 2022-23 में 29 लाख से अधिक स्टूडेंट्स कक्षा 10 की परीक्षा में फेल हो गए थे, वहीं बीते दो साल की बात करें, तो यह संख्या 40 लाख के आस पास है. आइए डालते हैं एक नजर इस पूरी रिपोर्ट पर
School Dropout Rate: 10वीं की पढ़ाई के दौरान स्कूल छोड़ने वाले स्टूडेंट्स की संख्या काफी बढ़ गई है. यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में दी. इस दौरान उन्होंने बताया कि सत्र 2022-23 में 29 लाख से अधिक स्टूडेंट 10वीं की परीक्षा में फेल हो गए. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ओडिशा और बिहार में ड्रापआउट होने वाले स्टूडेंट्स का प्रतिशत काफी बढ़ गया है. ओडिशा में ड्रापआउट रेट 39.4 से बढ़कर 49.9 हो गया है, वहीं बिहार में ये रेट 41.6 से बढ़कर 42.1 हो गया है.
महाराष्ट्र और गोवा में भी स्कूल छोड़ने वाले स्टूडेंट्स की संख्या में बढ़त दर्ज की गई है, लेकिन अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ड्रापआउट होने वाले स्टूडेंट की संख्या में कमी आई है. बता दें कि भारत में दसवीं कक्षा में ड्रॉपआउट प्रतिशत 2021-22 में 20.6% थी, जबकि 2018-19 में यह 28.4% थी. इस साल यह 21 प्रतिशत पर है.
1 करोड़ 89 लाख स्टूडेंट परीक्षा में हुए थे शामिल
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 1.89 करोड़ से ज्यादा स्टूडेंट कक्षा 10वीं की परीक्षा में शामिल हुए थे. इसमें से 1.60 करोड़ से ज्यादा स्टूडेंट पास हुए थे जबकि 29 लाख से ज्यादा स्टूडेंट फेल हो गए थे.
किस साल में कितने स्टूडेंट हुए फेल
- साल 2019 में 1.9 लाख स्टूडेंट फेल हुए.
- साल 2020 में 1.8 लाख स्टूडेंट फेल हुए.
- साल 2021 में 31,196 लाख स्टूडेंट फेल हुए.
- साल 2022 में 11 लाख से अधिक स्टूडेंट फेल हुए.
- साल 2023 में 29 लाख से ज्यादा स्टूडेंट फेल हुए.
ड्रापआउट होने वाले राज्यों की स्थिति
- ओडिशा – 49.9 प्रतिशत
- बिहार – 42.1 प्रतिशत
- मेघालय – 33.5 प्रतिशत
- कर्नाटक – 28.5 प्रतिशत
- आंध्र प्रदेश – 28.3 प्रतिशत
- असम – 28.3 प्रतिशत
- गुजरात – 28.2 प्रतिशत
- तेलंगाना – 27.4 प्रतिशत
इन राज्यों में कम हैं ड्रॉप आउट
- मध्य प्रदेश – 9.8 प्रतिशत
- उत्तर प्रदेश – 9.2 प्रतिशत
- तमिलनाडु – 9 प्रतिशत
- त्रिपुरा – 3.8 प्रतिशत
- हिमाचल प्रदेश 2.5 प्रतिशत
- हरियाणा – 7.4 प्रतिशत
- दिल्ली – 1.3 प्रतिशत
- मणिपुर – 0 प्रतिशत