भोजन में जीरे का इस्तेमाल बन सकता है मौत का कारण, समय रहते जान ले पूरा सच…

NEWSDESK
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जीरा ऍपियेशी परिवार का एक पुष्पीय पौधा है। यह पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक के क्षेत्र का देशज है। इसके प्रत्येक फल में स्थित एक बीज वाले बीजों को सुखाकर बहुत से खानपान व्यंजनों में साबुत या पिसा हुआ मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह दिखने में सौंफ की तरह होता है। संस्कृत में इसे जीरक कहा जाता है, जिसका अर्थ है, अन्न के जीर्ण होने में (पचने में) सहायता करने वाला।
अगर आप भोजन में जीरे का इस्तेमाल करते हैं। आमतौर पर जीरे का इस्तेमाल भोजन में इस वजह से किया जाता है क्योंकि लोगों को अलग अलग स्वाद पसंद होता है, स्वाद बढ़ाने के लिए कोई जीरे का इस्तेमाल करता है कोई लहसुन का इस्तेमाल करता है, इस तरह से अलग-अलग चीजों का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक भोजन में जीरे का इस्तेमाल मौत का कारण भी बन सकता है। फिलहाल इसके पीछे की पूरी सच्चाई आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
खबर दिल्ली से आई है कि बवाना थाना पुलिस ने फूल झाड़ू के चूरे से नकली जीरा बनाने वाली फैक्टरी का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने पूंठखुर्द स्थित फैक्टरी से सरगना और वहां काम कर रहे चार मजदूरों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने फैक्टरी से तकरीबन बीस हजार किलो नकली जीरा और 8075 किलो कच्चा पदार्थ बरामद किया है। शुरुआती जांच में पता चला कि आरोपी फूल झाड़ू के चूरे में गुड़ का शीरा और पत्थर का पाउडर मिलाकर नकली जीरा तैयार करते थे।
दोस्तों इस तरह के हानिकारक पदार्थों से बने जीरे का कोई भी अगर इस्तेमाल करेगा तो मौत का कारण बन सकता है। हालांकि खाने वाला जीरा बाजार में आपको लगभग 400 रुपये प्रति किलो मिल जाता है जबकि यह जीरा लोगों को 20 रुपये प्रति किलो बेचा जाता था।

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