नागपुर में बोले पीएम मोदी- आरएसएस भारतीय संस्कृति का अक्षयवट है

News Desk
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नागपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने नागपुर दौरे के दौरान माधव नेत्रालय प्रीमियर सेंटर का शिलान्यास भी किया। इसके बाद पीएम मोदी ने वहां एक जनसभा को भी संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के ये दिन बहुत विशेष है, आज से नवरात्रि का पवित्र पर्व शुरू हो रहा है। देश के अलग-अलग कोनों में आज गुडी पड़वा, उगादि और नवरेह का त्योहार भी मनाया जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि संघ सेवा के इस पवित्र तीर्थ नागपुर में आज हम एक पुण्य संकल्प के साक्षी बन रहे हैं।

पीएम मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपने देश का इतिहास देखें तो सैकड़ो वर्ष की गुलामी, इतने आक्रमण झेले, भारत की सूरत को मिटाने की इतनी क्रूर कोशिशे हुईं लेकिन भारत की चेतना कभी आहत नहीं हुई। इसकी लौ जलती रही क्यूंकि कठिन से कठिन दौर में भी नए-नए सामाजिक आंदोलन होते रहें। उन्होंने आरएसएस के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि संघ की सालों की तपस्या आज भारत का नया अध्याय लिख रही है।

पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की नीति सबसे गरीब लोगों का सर्वोत्तम चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करना है। उन्होंने किफायती स्वास्थ्य सेवा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई और समाज के वंचित वर्गों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला। पीएम मोदी ने अपने भाषण में आरएसएस की तारीफ करते हुए कहा कि आरएसएस भारतीय संस्कृति का अक्षयवट है। इस साल आरएसएस के स्थापना के 100 वर्ष पूरे हैं। संघ के लिए सेवा ही साधना है। हमारा मंत्र देव से देश, राम से राष्ट्र है। सेवा की भावना स्वयंसेवक को कभी थकने नहीं देता है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि स्वयंसेवक बिना अपना-पराया देखे ही मदद में जुट जाते हैं। गुरु जी ने संघ की तुलना से प्रकाश से की थी। किसी भी आपदा के वक्त स्वयंसेवक तैयार रहते हैं। किसी भी मुसीबत के वक्त स्वयंसेवक सबसे पहले पहुंचते हैं। गुरु जी की सीख हमारे लिए जीवनमंत्र है। पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि 100 साल में आरएसएस महान वटवृक्ष बन गया है। स्वयंसेवक निस्वार्थ भाव से लोगों की मदद करते हैं। महाकुंभ के समय स्वयंसेवकों ने महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की खूब सेवा की और लाखों लोगों की मदद की। हम गुलामी की मानसिकता से अब बाहर निकल रहे हैं।

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