BJP: आज राष्ट्रीय अधिवेशन का दूसरा दिन, चुनावी बिगुल फूंकेंगे पीएम मोदी; कार्यकर्ताओं को देंगे जीत का मंत्र

NEWSDESK
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अधिवेशन के पहले दिन एक राजनीतिक प्रस्ताव ‘विकसित भारत- मोदी की गारंटी’ पारित हुआ था। प्रस्ताव में कहा गया था कि मोदी सरकार के 10 वर्षों ने राम राज्य के विचार को जमीन पर साकार कर दिया है।

भाजपा का राष्ट्रीय अधिवेशन नई दिल्ली के भारत मंडपम में जारी है। अधिवेशन के दूसरे और अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इस दौरान वे 11,500 भाजपा कार्यकर्ताओं को 370 सीटें जीतने का मंत्र देंगे। अधिवेशन के पहले दिन एक राजनीतिक प्रस्ताव ‘विकसित भारत- मोदी की गारंटी’ पारित हुआ। प्रस्ताव में कहा गया कि मोदी सरकार के 10 वर्षों ने राम राज्य के विचार को जमीन पर साकार कर दिया है।

पहले दिन राष्ट्रीय पदाधिकारियों को पीएम ने किया संबोधित
शनिवार को अधिवेशन की शुरुआत राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक के साथ हुई। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने साफ संदेश दिया कि भाजपा के लिए इस लोकसभा चुनाव में 370 सीटें जीतने का लक्ष्य सिर्फ आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं की श्रद्धांजलि होगी। पीएम मोदी ने कहा कि फर्स्ट टाइम वोटर को 2014 से पहले का भारत और 2014 के बाद के भारत में फर्क बताएं और उन्हें बताएं कि कैसे भारत का गौरव बढ़ा है। महिला वोटर हमारे लिए सिर्फ वोटर नहीं हैं। जिस तरह का काम पिछले 10 साल में हमारी सरकार ने किया है, वह देखते हुए माता-बहनों का आशीर्वाद हमें इस चुनाव में प्राप्त करना है, इसके लिए ज्यादा सक्रिय रहें। उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा का चुनाव चिन्ह कमल पार्टी का उम्मीदवार होगा। पीएम ने इसी के साथ सभी से अपनी जीत सुनिश्चित करने का आह्वान किया।

अधिवेशन में किसानों का भी हुआ जिक्र
अधिवेशन के पहले दिन केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने किसानों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए केंद्र की पिछली सभी सरकारों की तुलना में अधिक काम किया है। किसानों के हित में इस सरकार ने पिछले 10 वर्षों में बहुत कुछ किया है। किसानों को सबसे अधिक उर्वरकों पर खर्च करना पडता है। आज दुनिया भर में यूरिया की एक बोरी की कीमत 3,000 रुपये है लेकिन हमारे देश में यह 300 रुपये प्रति बैग के भाव पर उपलब्ध है। 2014 से पहले कृषि क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन 25,000 करोड़ रुपये हुआ करता था। हालांकि, तब से इसे बढ़ाकर 1,25,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। पिछले 10 वर्षों में एमएसपी के रूप में किसानों को लगभग 18 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।

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